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धनु लग्न-गुण स्वभाव, स्वास्थ्य-रोग, शिक्षा एवं कैरियर आदि


धनु लग्न-गुण स्वभाव, स्वास्थ्य-रोग, शिक्षा एवं कैरियर आदि

शारीरिक गठन एवं व्यक्तित्त्व धनु लग्न कुंडली में गुरु एवं सूर्य शुभस्थ हो तो जातक का ऊंचा लंबा कद, संतुलित एवं सुगठित शरीर, सुंदर गेहूंआ रंग, किंचित चौड़ी एवं अंडाकार मुखाकृति, चौड़ा एवं ऊंचा माथा, प्राय लंबी नाक एवं लंबी पुष्ट गर्दन, बादाम जैसी आकृति की चमकदार आंखें, बड़े किंतु सुंदर मजबूत दांत, बौद्धिकता के प्रतिक बड़े कान, श्वेत पीत वर्ण (यदि लग्न में मंगल की दृष्टि आदि का योग हो तो श्वेत लालिमा मिश्रित वर्ण) तथा ऐसा जातक सौम्य, हंसमुख, आकर्षक, सुंदर एवं प्रभावशाली व्यक्तित्व वाला होगा।

चारित्रिक एवं स्वभावगत विशेषताएं धनु लग्न अग्नि तत्व राशि तथा लग्न स्वामी गुरु शुभ होने से जातक अत्यंत बुद्धिमान, परिश्रमी, स्वाभिमानी, पराक्रमी, साहसी, धर्म परायण, इनमें अच्छे बुरे एवं दूसरों के भावों को जान लेने की विशेष क्षमता होगी, जातक स्पष्ट वक्ता, इमानदार, न्यायप्रिय, व्यवहार कुशल, उदार हृदय, मिलनसार, नरम दिल, सिद्धांतवादी एवं अध्ययन शील प्रकृति का होता है। यदि सूर्य भी शुभस्थ हो तो जातक कुल में श्रेष्ठ, भाग्यशाली तथा इनकी बौद्धिक एवं मानसिक शक्ति प्रबल होगी। ये जिस कार्य को करने का संकल्प कर लेता है उसे पूरे किया बिना नहीं छोड़ता। ऐसा जातक धन - संपदा एवं वाहन आदि सुख साधनों से युक्त तथा निज पराक्रम एवं पुरुषार्थ द्वारा लाभ व उन्नति प्राप्त करने वाला होगा। जातक धर्म परायण, परोपकारी स्वभाव तथा लोगों की भलाई का ख्याल बहुत रखेगा। जातक उच्च एवं श्रेष्ठ विचारों से युक्त, शिक्षक तथा उच्च प्रतिष्ठित लोगों के साथ मेलजोल अधिक रखेगा। परंतु शनि यदि अशुभ हो तो जातक को भाई बंधुओं के सुख में कमी रहे तथा कार्य व्यवसाय के संबंध में अत्यधिक संघर्ष कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। इनका 32 वर्ष की आयु के बाद विशेष भाग्योदय होता है।

धनु लग्न काल पुरुष के राशिचक्र में नवनी राशि होने से जातक को योगदर्शन, आध्यात्मिक, चिकित्सा आदि बौद्धिक विषयों में विशेष अभिरुचि होती है। ये अध्यात्म एवं जीवन संबंधी रहस्यों को जानने में प्रयत्नशील रहते हैं। मंगल गुरु के प्रभाव के जातक अध्ययनशील, आत्मविश्वास की भावना से युक्त, चुस्त, आशावादी दृष्टिकोण रखने वाला, दूसरों से सहानुभूति पूर्वक व्यवहार करने वाला, महत्वकांक्षी, कठिन से कठिन समस्याओं को अपने धैर्य और साहस से ठीक कर लेने वाला होता है। जातक की देश-विदेश की यात्राओं के भी अवसर प्राप्त होते हैं।

धनु राशि द्विस्वभाव की राशि है। इसलिए ऐसे जातक शीघ्र कोई निर्णय नहीं कर पाते हैं। परंतु जब खूब सोच समझ के बाद निर्णय लेते हैं तो अपने कार्य को पूरे उत्साह एवं जोश के साथ आरंभ कर देते हैं। वैसे तो धनु जातकों को जल्दी से क्रोध नहीं आता परंतु यदि किसी कारण विशेष से आ भी जाए तो देर तक क्रोध आवेश में रहते हैं। केवल प्रेम व शांति से वशीभूत होते हैं। इनकी सूक्ष्म में बुद्धि होने के कारण किसी भी विषय की गहराई तक जाने में कुशल होते हैं। कुंडली में मंगल शुक्र का योग हो तो विपरीत योनि के प्रति विशेष आकर्षण होता है। यदि लग्न में पाप ग्रह अथवा पाप ग्रहों की दृष्टि हो तो जातक ईर्ष्यालु, जिद्दी, शीघ्र क्रोधित होने वाला, कठोर स्वभाव, स्वार्थ परक, कामुक एवं स्वच्छाचारी स्वभाव का होता है। ऐसा जातक दूसरे लोगों की आलोचना एवं व्यंगात्मक वाणी का प्रयोग करने वाला भी होता है।

स्वास्थ्य एवं रोग धनु लग्न जातक की कुंडली में गुरु, सूर्य, मंगल आदि ग्रह शुभस्थ हो तो जातक का स्वास्थ्य अच्छा एवं श्रेष्ठ होता है। परंतु यदि लग्न में लग्नेश (गुरु) अशुभ हो तथा शनि, मंगल, शुक्र एवं राहु आदि ग्रहों का लग्न या लग्नेश के साथ अशुभ संबंध हो तो जातक को कमर में या जोड़ों में दर्द, रक्त विकार, लीवर एवं उदर विकार, नेत्र स्नायु रोग, प्रमेह, उच्च रक्तचाप, जिगर, यौन रोग, गुप्त एवं पेचीदा रोगों की संभावना रहती है। स्वास्थ्य में सावधानीवश धनु जातक को बहुत अधिक उष्ण एवं गरिष्ठ एवं तला हुआ भोजन नहीं लेना चाहिए। मादक वस्तुओं एवं मांस मछली आदि तामसिक भोजन के सेवन से भी परहेज करना चाहिए। अत्यधिक क्रोध तथा उत्तेजना, आवेश पूर्ण व्यवहार भी आपके स्वास्थ्य के लिए ठीक नहीं। पौष्टिक एवं संतुलित भोजन एवं नियमित व्यायाम आपके स्वास्थ्य एवं जीवन के लिए सुखद होंगे।

शिक्षा एवं कैरियर धनु लग्न में गुरु पंचम भाव से एवं पंचमेश मंगल के साथ शुभ संबंध बनाता हो अथवा गुरु मंगल की दशा अंतर्दशा हो तो जातक उच्च शिक्षित विख्यात एवं उच्च पद पर प्रतिष्ठित होता है। धनु जातक गुरु और बुध के प्रभाव से प्राय: अध्ययनशील प्रकृति के होते हैं। जीवन में किसी भी व्यवसाय से संबंधित हो वह धर्म, ज्योतिष, गूढ़ विषयों के अध्ययन से जुड़े रहते हैं। मंगल, बुध, सूर्य आदि ग्रह स्वराशिस्थ या शुभस्थ हो तो जातक डॉ अथवा चिकित्सा के क्षेत्र में सफल होता है। यदि चंद्र-मंगल बुध आदि ग्रहों का योग केंद्र त्रिकोण में हो तो जातक इलेक्ट्रिक इंजीनियर होता है। पंचम में गुरु एवं केंद्र त्रिकोण में सूर्य बुध का योग होने से जातक वकालत के क्षेत्र में विशेष सफल रहता है। चंद्र, शुक्र एवं शनि ग्रहों के योग जातक या जातिका को अभिनय कला एवं फिल्म क्षेत्र में सफलता दिलाता है। सामान्यत: धनु जातक अपनी बौद्धिक योग्यता के बल पर उच्च व्यवसायिक विद्या प्राप्त करने में सक्षम होते हैं। धनु जातक की कुंडली में सूर्य-बुध, सूर्य-मंगल, सूर्य-गुरु तथा गुरु-मंगल गुरु एवं बुध शुक्र के योग करियर की दृष्टि से विशेष प्रशस्त माने जाते हैं।

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