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भोर वंदनम्

 *भोर वंदनम् !

सुभाषितम् :-

*खलः करोति दुर्वृत्तं, नूनं फलति साधुषु।*
*दशाननो हरेत् सीतां, बन्धनं स्याद् महोदधेः॥ इति*

*अर्थात:-*

दुष्ट मानव गलत कार्य कारता है और उसका फ़ल अच्छे लोगों को भुगतना पडता है।
जिस प्रकार रावण सीता का हरण करता है और सागर को बंधना पडता है।


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